न जाने कब हमारी सोच बदलेगी और कब हमारा समाज
सबका सब्र टूट गया है। क्या सब्र टूटना काफ़ी है? इस देश में सब कुछ निर्धारित है तो फिर क्यों हम बदलें। दिल्ली में उस लड़की के साथ हुए कुकृत्य ने समाज का कुसंस्कारी चेहरा हमारे सामने पेश किया है। ये कोई ऐसा पहला मामला नहीं जिसने माशूम लड़की को इत…